Add To collaction

लेखनी प्रतियोगिता -24-Feb-2024

दैनिक प्रतियोगिता

स्वैच्छिक कहानी

*जिंदगी का  कुंआ???* 

*एक बार राजा भोज के दरबार में एक सवाल उठा कि ऐसा कौन सा कुआं है जिसमें गिरने के बाद आदमी बाहर नहीं निकल पाता?*

*इस प्रश्न का उत्तर कोई नहीं दे पाया।*
आखिर में राजा भोज ने राज पंडित से कहा कि इस प्रश्न का उत्तर सात दिनों के अन्दर लेकर आओ वरना आपको अभी तक जो इनाम धन आदि दिया गया है वापस ले लिए जायेंगे तथा इस नगरी को छोड़कर दूसरी जगह जाना होगा।*

*छः दिन बीत चुके थे।*

*राज पंडित को जबाव नहीं मिला था निराश होकर वह जंगल की तरफ गया।*

*वहां उसकी भेंट एक गड़रिए से हुई।*

*गड़रिए ने पूछा -" आप तो राजपंडित हैं, राजा के दुलारे हो फिर चेहरे पर इतनी उदासी क्यों?*

यह गड़रिया मेरा क्या मार्गदर्शन करेगा सोचकर पंडित ने कुछ नहीं कहा।

इसपर गडरिए ने पुनः उदासी का कारण पूछते हुए कहा -

*"पंडित जी हम भी सत्संगी हैं,हो सकता है आपके प्रश्न का जवाब मेरे पास हो, अतः नि:संकोच कहिए।"*

*राज पंडित ने प्रश्न बता दिया और कहा कि -"अगर कल तक प्रश्न का जवाब नहीं मिला तो राजा नगर से निकाल देगा।"*

*गड़रिया बोला - मेरे पास पारस है उससे खूब सोना बनाओ।एक भोज क्या लाखों भोज तेरे पीछे घूमेंगे।*

*बस,पारस देने से पहले मेरी एक शर्त माननी होगी कि तुझे मेरा चेला बनना पड़ेगा।*

*राजपंडित के अन्दर पहले तो अहंकार जागा कि दो कौड़ी के गड़रिए का चेला बनूँ ?*

*लेकिन स्वार्थ पूर्ति हेतु चेला बनने के लिए तैयार हो गया।*

*गड़रिया बोला - पहले भेड़ का दूध पीओ फिर चेले बनो।*

*राजपंडित ने कहा कि यदि ब्राह्मण भेड़ का दूध पीयेगा तो उसकी बुद्धि मारी जायेगी। मैं दूध नहीं पीऊंगा।*

*"तो जाओ, मैं पारस नहीं दूंगा " - गड़रिया बोला।*

*राज पंडित बोला -" ठीक है,दूध पीने को तैयार हूँ,आगे क्या करना है ?"*

*गड़रिया  गुस्से में बोला -" अब तो पहले मैं दूध को जूठा करूंगा फिर तुम्हें पीना पड़ेगा।"*

*राजपंडित ने कहा -" तू तो हद करता है! ब्राह्मण को जूठा पिलायेगा ?"
"तो जाओ,"- गड़रिया बोला।*

*राज पंडित बोला -" मैं तैयार हूँ जूठा दूध पीने को ।"*

*गड़रिया बोला- " वह बात गयी।अब तो सामने जो मरे हुए इन्सान की खोपड़ी का कंकाल पड़ा है, उसमें मैं दूध दोहूंगा,उसको जूठा करूंगा फिर तुम्हें पिलाऊंगा।*
*तब मिलेगा पारस नहीं तो अपना रास्ता लीजिए।"*

*राजपंडित ने खूब विचार कर कहा - "है तो बड़ा कठिन लेकिन मैं तैयार हूँ ।*

*गड़रिया बोला-" मिल गया जवाब*

*यही तो वो कुआँं है*

*लोभ का*

*तृष्णा का*

*पाप का*

*जिसमें आदमी गिरता जाता है*

*और*

*फिर कभी नहीं निकलता।*

*जैसे कि तुम पारस को पाने के लिए इस लोभ रूपी कुएं में गिरते चले गए..!!*

*पंडित हतप्रभ गड़रिए को देख रहा था ।*
*गड़रिया बोला - " ज्ञान किताबों से तो सभी प्राप्त करते हैं लेकिन सच्चा ज्ञान और उत्तर जिंदगी से ही प्राप्त होते हैं!*
*इसीलिए कहते हैं जीवन सबसे अच्छा शिक्षक है!
जो सैद्धांतिक के साथ प्रायोगिक ज्ञान और परिक्षा  लेकर आगे की क्लास में भेजती है , चूके तो गए कुंए में l*

*🙏हर हरमहादेव🙏*

*अपर्णा "गौरी" शर्मा 🕉️

   22
11 Comments

kashish

27-Feb-2024 02:32 PM

V nice

Reply

RISHITA

26-Feb-2024 04:23 PM

V nice

Reply

KALPANA SINHA

26-Feb-2024 11:20 AM

Awesome

Reply